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chana ki kheti

फरवरी के कृषि कार्य: जानिए फरवरी माह में उगाई जाने वाली फसलें

फरवरी के कृषि कार्य: जानिए फरवरी माह में उगाई जाने वाली फसलें

गेहू की फसल में मुख्य कार्य उर्वरक प्रबंधन एवं सिंचाई का रहता है। ज्यादातर इलाकों में गेहूं में तीसरे एवं चौथे पानी की तैयारी है। तीसरे पानी का काम ज्यादातर राज्यों में पिछले दिनों हुई बरसात से हो गया है। गेहूं में झुलसा रोग से बचाव के लिए डायथेन एम 45 या जिनेब की 2.5 किलोग्राम मात्रा का पर्याप्त पानी में घोलकर छिड़काव करेंं। गेरुई रोग से बचाव के लिए प्रोपिकोनाजोल यानी टिल्ट नामक दवा की 25 ईसी दवा को एक एमएल दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिडकाव करें। टिल्ट का छिडकाव दानों में चमक एवं वजन बढ़ाने के साथ फसल को फफूंद जनित रोगों से बचाता है। छिडकाव कोथ में बाली निकलने के समय होना चाहिए। फसल को चूहों के प्रकोप से बचाने के लिए एल्यूमिनियम फास्फाइड का प्रयोग करें।

जौ

jau ki kheti

जौ की फसल में कंडुआ जिसे करनाल बंट भी कहा जाता है लग सकता है। यह रोग संक्रमित बीज वाली फसल में हो सकता है। बचाव के लिए किसी प्रभावी फफूंदनाशक दवा या टिल्ट नामक दवा का छिड़काव करें।

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चना

chana ki kheti

चने की खेती में दाना बनने की अवस्था में फली छेदक कीट लगने शुरू हो जाते हैं। बचाव हेतु बीटी एक किलोग्राम या फेनवैलरेअ 20 प्रतिशत ईसी की एक लीटर मात्रा का 500 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करेंं।

मटर

matar ki kheti

मटर में इस सयम पाउड्री मिल्डयू रोग लगता है। रोकथाम के लिए प्रति हैक्टेयर दो किलोग्राम घुलनशील गंधक या कार्बेन्डाजिम नामक फफूंदनाशक की 500 ग्राम मात्रा 500 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करेंं।

राई सरसों

सरसों की फसल में इस समय तक फूल झड़ चुका होता है। इस समय माहूू कीट से फसल को बचाने के लिए मिथाइल ओ डिमोटान 25 ईसी प्रति लीटर दवा पर्याप्त पानी में घोलकर छिडकाव करेंं।

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मक्का

makka ki kheti

रबी मक्का में सिंचाई का काम मुख्य रहता है । लिहाजा तीसरा पानी 80 दिन बाद एवं चौथा पानी 110 दिन बाद लगाएं। यह समय बसन्तकालीन मक्का की बिजाई के लिए उपयुक्त होने लगता है।

गन्ना

sugarcane farming

गन्ने की बसंत कालीन किस्मों को लगाने के समय आ गया है। मटर, आलू, तोरिया के खाली खेतों में गन्ने की फसल लगाई जा सकती है। गन्ने की कोशा 802, 7918, 776, 8118, 687, 8436 पंत 211 एवं बीओ 91 जैसी अनेक नई पुरानी किस्में मौजूद हैं। कई नई उन्नत किस्तें गन्ना संस्थानों ने विकसित की हैं। इनकी विस्तृत जानकारी लेकर इन्हें लगाया जा सकता है।

फल वाले पौधे

नीबू वर्गीस सिट्रस फल वाले मौसमी, किन्नू आदि के पौधों में विषाणु जनित रोगों के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोरोपिड 3 एमएल प्रति 10 लीटर पानी में, कार्बरिल 20 ग्राम 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। नाशपाती एवं सतालू आदि सभी फलदार पौधों के बागों में सड़ी गोबर की खाद, मिनरल मिक्चर आदि तापमान बढ़ने के साथ ही डालें ताकि पौधों का समग्र विकास हो सके। आम के खर्रा रोग को रोकने के लिए घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी 0.2 प्रतिशत दवा की 2 ग्राम मात्रा का प्रति लीटर पानी की दर से छिडकाव करें। इसके अलावा अन्य प्रभावी फफूंदनाशक का एक छिडकाव करें। कीड़ों से पौधों को सुरक्षत रखने के लिए इमिडाक्लोरोपिड का एक एमएल प्रति तीन लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।

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फूल वाली फसलें

गुलदाउूजी के कंद लगाएं। गर्मी वाले जीनिया, सनफ्लावर, पोर्चलुका, कोचिया के बीजों को नर्सरी में बोएं ताकि समय से पौध तैयार हो सके।

सब्जी वाली फसलें

aloo ki kheti

आलू की पछेती फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए मैंकोजेब या साफ नामक दवा की उचित मात्रा छिडकाव करें। प्याज एवं लहसुन में संतुलित उर्वरक प्रबधन करें। खादों के अलावा शूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग करें। फफूंद जनित रोगों से बचाव एवं थ्रिप्स रोग से बचाव के लिए कारगर दवाओं का प्रयोग करें। भिन्डी के बीजों की बिजाई करें। बोने से पहले बीजों को 24 घण्टे पूर्व पानी में भिगोलें। कद्दू वर्गीय फसलों की अगेती खेती के लिए पॉलीहाउस, छप्पर आदि में अगेती पौध तैयार करें।

पशुधन

पशुओं की बदलते मौसम में विशेष देखभाल करें। रात के समय जल्दी पशुओं को बाडे में बांधें। पशुओं को दाने के साथ मिनरल मिक्चर आवश्यक रूप से दें।

संतुलित आहार के लिए पूसा संस्थान की उन्नत किस्में

संतुलित आहार के लिए पूसा संस्थान की उन्नत किस्में

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली जिसे पूसा संस्थान के नाम से जाना जाता है ने अपने 115 वर्षों के सफर में देश की कृषि को सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हरित क्रांति के जनक के रूप में पूसा संस्थान में विभिन्न फसलों की बहुत सारी किस्में निकाली हैं जिनसे हम अपने देश की जनता को संतुलित आहार दे सकते हैं और अपने किसानों के लिए खेती को लाभदायक बना सकते हैं। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए पूसा सस्थान द्वारा निकाली गई कुछ फसलों की मुख्य किस्में व उनकी विशेषताओं के विषय में हम आपको बता रहे हैं।

संतुलित आहार की उन्नत किस्में

धान

Dhan ki kheti 1-पूसा बासमती 1 जिस की पैदावार 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर है 135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। 2-पूसा बासमती 1121 जिसकी पैदावार 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर है एवं 140  दिन में पक जाती है। पकाने के दौरान चावल 4 गुना लंबा हो जाता है। 3-पूसा बासमती 6 की पैदावार 55 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। आप पकने में 150 दिन का समय लेती है। 4-पूसा बासमती 1509 का उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है. यह पत्नी है 120 दिन का समय लेती है. जल्दी पकने के कारण बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी है. 5-पूसा बासमती 1612 का उत्पादन 51 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है . पकने में 120 दिन का समय लेती है . यह ब्लास्ट प्रतिरोधी किस्म है। 6-पूसा बासमती 1592 का उत्पादन 47.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है .यह पकने में 120 दिन का समय लेती है .बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी है. ये भी पढ़े: धान की उन्नत खेती कैसे करें एवं धान की खेती का सही समय क्या है 7-पूसा बासमती 1609 का उत्पादन 46 कुंटल पकने का समय 120 दिन व बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रति प्रतिरोधी है। 8-पूसा बासमती 1637 का उत्पादन 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अवधि 130 दिन है । यह ब्लाइट प्रतिरोधी है. 9-पूसा बासमती 1728 का उत्पादन 41.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पकाव  अवधि 140 दिन है। वह किसी भी बैक्टीरियल ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी है। 10-पूसा बासमती 1718 का उत्पादन 46.4 कुंटल प्रति हेक्टेयर बोकारो अवधि 135 दिन है। यह किस्म बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोध ही है। 11-पूसा बासमती 1692 का उत्पादन 52.6 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। यह पकने में 115 दिन का समय लेती है। उच्च उत्पादन जल्दी पकने वाली किस्म है।

 गेहूं

gehu ki kheti 1-एचडी 3059 का उत्पादन 42.6 कुंतल प्रति हेक्टेयर व पकाव अवधि 121 दिन है। यह पछेती की किस्में है। 2-एचडी 3086 का उत्पादन 56.3 कुंटल एवं पकाव अवधि 145 दिन है। 3-एचडी 2967 का उत्पादन 45.5 कुंतल प्रति हेक्टेयर। वह पकने में 145 से लेती है। 4-एच डी सीएसडब्ल्यू 18 का उत्पादन 62.8 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। पीला रतुआ प्रतिरोधी 150 दिन में पकती है। 5-एचडी 3117 से 47.9 कुंटल उत्पादन 110 दिन में मिल जाता है । यह किस्म करनाल बंट रतुआ प्रतिरोधी पछेती किस्म है। 6-एचडी 3226 से 57.5 कुंटल उत्पादन 142 दिन में मिल जाता है। 7-एचडी 3237 से 4 कुंतल उत्पादन 145 दिन में मिलता है। ये भी पढ़े: सर्दी में पाला, शीतलहर व ओलावृष्टि से ऐसे बचाएं गेहूं की फसल 8-एच आई 1620 से 49.1 कुंदन उत्पादन के 40 दिन में मिलता है। यह कंम पानी वाली किस्म है। 9-एच आई 1628 से 50.4 कुंतल उत्पादन 147 में मिलता है। 10-एच आई 1621 से 32.8 कुंतल उत्पादन 102 दिन में मिल जाता है यह पछेती किस्म है। 11-एचडी 3271 किस्म से कुंतल उत्पादन 104 दिन में मिलता है यह अति पछेती किस्म है पीला रतुआ प्रतिरोधी है। 12-एचडी 3298 से 39 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन 104 दिन में मिल जाता है।

मक्का

Makka ki kheti 1-पूसा एच एम 4 संकर किस्म से 64.2 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है । यह पकने में 87 दिन का समय देती है और इसमें प्रोटीन अत्यधिक है। 2-पूसा सुपर स्वीट कॉर्न संकर सै 93 कुंतल उत्पादन 75 दिन में मिल जाता है। 3-पूसा एचक्यूपीएम 5 संकर 64.7 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन 92 दिन में मिलता है। बाजरा (खरीफ) 1-पूसा कंपोजिट 701 से , 80 दिन में 23.5 कुंतल उत्पादन मिलता है। 2-पूसा 1201 संकर से 28.1 कुंतल उत्पादन 80 दिन में मिलता है।

चना

chana ki kheti 1-पूसा 372 से 125 दिन में 19 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है। 2-पूसा 547 से 130 दिन में 18 कुंतल उत्पादन मिलता है।

अरहर

arhar ki kheti 1-अरहर की पूसा 991 किस्म 142 दिन में तैयार होती है व 16.5 कुंदन उत्पादन मिलता है। 2- पूसा 2001 से 18.7 कुंतल उत्पादन 140 दिन में मिलता है। 3- पूसा 2002 किस्म से 143 दिन में 17.7 कुंतल उपज मिलती है। 4-पूसा अरहर 16 से 120 दिन में 19.8 कुंतल उपज मिलती है।

मूंग (खरीफ)

Mung ki kheti 1-पूसा विशाल 65 दिन में 11.5 कुंतल उपज देती है। यह किस्मत एक साथ पकने वाली है। 2- पूसा 9531 से 65 दिन में 11.5 कुंटल उत्पादन मिलता है। यह भी एक साथ पकने वाली किस्म है। 3- पूसा 1431 किस्म से 66 दिन में 12.9 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है।

मसूर

masoor ki dal 1- एल 4076 किस्म 125 दिन में पकने वाली है । इससे 13.5 कुंतल उत्पादन मिलता है। 2- एवं 4147 से ,125 दिन में 15 कुंतल उपज मिलती है। दोनों किस्म  फ्म्यूजेरियम बिल्ट रोग प्रतिरोधी है।

सरसों(रबी)

sarson ki kheti 1-जल्द पकने वाली पीएम 25 किस्म से 105 दिन में 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है। 2-प्रीति बाई के लिए उपयुक्त पीएम 26 किस्म से 126 दिन में 16.4 कुंतल तक उपज मिलती है। 3-41.5% की उच्च तेल मात्रा वाली पीएम 28 किस्म 107 दिन में 19.9 कुंतल तक उपज दे जाती है। 4-कुछ तेल प्रतिशत वाली पीएम 3100 किस्म से 23.3  कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिलती है ।यह पकने में 142 दिन का समय लेती है। 5- पीएम 32 किस्म से 145 दिन में 27.1 कुंतल उपज दे ती है।

सोयाबीन (खरीफ)

soybean 1-पुसा सोयाबीन 9712 किस्म पीला मोजेक प्रतिरोधी है। 115 दिन में 22.5 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। 2-पूसा 12 किस्म 128 दिन मैं 22.9 कुंतल उपज देती है।

लेखक

राजवीर यादव, फिरोज हुसैन, देवेंद्र के यादव एवं अशोक के सिंह